दे के आवाज गम के मारो को
मत परेशा करो बहारो को...
इन्हें शायद मिले सुराग-ऐ- हयात
आओ सिजदा करे मजारो को....
वो खिजा से हे शर्मिंदा
जिसने रुसवा किया बहारो को
दिलकशी देखके तलातुम की
हमने देखा नहीं बहारो को....
हम खीजा से गले मिले अंजुम
लोग रोते रहे बहारो को.....
Tuesday, February 10, 2009
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very nice
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