यु कभी कभी तो नज़ारा करेंगे हम
पहना करो नकाब उतारा करेंगे हम
महताब की ज़मी पर पसीने को देखना
जब नाम लेके तुमको पुकारा करेंगे हम
हमसे इबादतों में कमी रही अगर
रह -रहके अपने माथे पे मारा करेंगे हम
मंजील से मिल सका न घर हमें कोई जवाब
मुड-मुड के तुमको पुकारा करेंगे हम
वक़्त-ए-सहर जो रात की लौ जिलमिला गई
उठ कर तुम्हारी जुल्फ सवारा करेंगे हम...
Wednesday, February 11, 2009
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