बाला से वो दुश्मन हुआ हे किसी का
वो काफिर सनम क्या खुदा हे किसी का...
किसी की तपिश में ख़ुशी हे किसी की
किसी की खलिश में मज़ा हे किसी का...
बचे जान किस तरह तेरी अदा से
कज़ा पे कही बस चला हे किसी का...
मेरी इल्ल्तिज़ा पर बिगड़कर वो बोले
नहीं मानते,इसमें क्या हे किसी का...
तू न जाने ,न जाने ,न जाने
तुजे दाग दिल जानता हे किसी का...
Thursday, February 12, 2009
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